अखिल भारतीय नववर्ष समारोह समिति द्वारा पंद्रह दिवसीय नववर्ष उत्सव की घोषणा !

“पारम्परिक वेशभूषा मे महिलाओं का म्हारी घूमर रहेगा विशेष आकर्षण”

उदयपुर में अखिल भारतीय नववर्ष समारोह समिति, नगर निगम उदयपुर, आलोक संस्थान और विभिन्न सामाजिक संगठनों के सहयोग से पंद्रह दिवसीय भव्य नववर्ष उत्सव आयोजित किया जा रहा है। समिति के राष्ट्रीय सचिव डॉ. प्रदीप कुमावत ने बताया कि यह आयोजन भारतीय संस्कृति, परंपराओं और सामाजिक समरसता को बढ़ावा देने के लिए किया जा रहा है। इस उत्सव के दौरान विभिन्न धार्मिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा।

यह रहेंगे कार्यक्रम

18 मार्च 2025 – वरुण वंदन – महावीर अभिनंदन
सायं 5:30 बजे नेला तालाब पर जल देवता वरुण का पूजन किया जाएगा, जो पर्यावरण संरक्षण और जलसंरक्षण के प्रति जागरूकता फैलाने का संदेश देगा।

19 मार्च 2025 – कलश स्थापना एवं भजन संध्या
प्रातः 12:15 बजे श्रीराम मंदिर, आलोक संस्थान में कलश स्थापना होगी। सायं 7 बजे आर्ट ऑफ लिविंग के सहयोग से दिव्य भजन संध्या का आयोजन किया जाएगा।

20 मार्च 2025 – आह्वानम् – आमंत्रण यात्रा
दोपहर 3 बजे अंबेरी से आमंत्रण यात्रा निकलेगी, जो हाथीपोल से जगदीश चौक तक पहुंचेगी। इस यात्रा का उद्देश्य समाज के प्रत्येक वर्ग को अपनी परंपराओं से जोड़ना है।

21 मार्च 2025 – विक्रम रंगोली प्रतियोगिता
सायं 4 से 5:30 बजे सत्यार्थ प्रकाश न्यास, गुलाबबाग में रंगोली प्रतियोगिता होगी, जिसमें महिलाएं और बालिकाएं संस्कारों से जुड़ी रंगोली बनाएंगी।

22 मार्च 2025 – म्हारी घूमर – शक्ति, भक्ति और नृत्य
सायं 6 बजे श्रीराम क्रीड़ा मैदान, आलोक संस्थान में 1008 महिलाओं द्वारा पारंपरिक घूमर नृत्य का भव्य आयोजन किया जाएगा। इस कार्यक्रम में पारंपरिक वेशभूषा, संगीत और सांस्कृतिक गतिविधियाँ शामिल होंगी।

23 मार्च 2025 – गौ-गंगा-गायत्री पावन त्रिवेणी महोत्सव
प्रातः 11:15 बजे महाकालेश्वर मंदिर में गंगा जल से अभिषेक एवं गौ माता पूजन होगा, जो भारतीय संस्कृति में गंगा, गाय और गायत्री के महत्व को दर्शाएगा।

24-25 मार्च 2025 – विक्रम विरासत परिक्रमा एवं पुरुषार्थ अभिषेकम्
शहर के विभिन्न चौराहों पर स्थापित महापुरुषों की प्रतिमाओं का दुग्धाभिषेक किया जाएगा और समाजसेवियों को सम्मानित किया जाएगा।

26 मार्च 2025 – राष्ट्र वंदन एवं वंदे मातरम गायन
सायं 5:30 बजे सूरजपोल पुलिस कंट्रोल रूम के पास भारत माता पूजन और वंदे मातरम गान का आयोजन किया जाएगा।

27 मार्च 2025 – कयाकिंग और केनोइंग प्रदर्शनी
परशुराम घाट, अंबापोल से गणगौर घाट तक कयाकिंग एवं केनोइंग का भव्य प्रदर्शन किया जाएगा। हिंगलाज माता की मशाल प्रज्वलित कर मेवाड़ विरासत तक ले जाई जाएगी, जहां भव्य आरती होगी।

28 मार्च 2025 – लोक परिधान उत्सव
सायं 6 बजे फतेहसागर के देवाली छोर पर पारंपरिक वेशभूषा, पगड़ी सजावट और मूंछों की प्रतियोगिता का आयोजन किया जाएगा।

29 मार्च 2025 – ज्योति कलश संस्कृति चेतना यात्रा
दोपहर 3 बजे एकलिंगजी से यात्रा प्रारंभ होकर गणगौर घाट पहुंचेगी। यहाँ गंगा आरती एवं आतिशबाजी के साथ विक्रम संवत 2081 की विदाई होगी।

30 मार्च 2025 – वंदन-अभिनंदन एवं चैती एकम् री सवारी
प्रातः 8 से 11 बजे तक विभिन्न चौराहों पर हल्दीघाटी की माटी और त्रिवेणी संगम के जल से नागरिकों का तिलक कर स्वागत किया जाएगा। सायं 6:30 बजे पाला गणेशजी से दूधतलाई तक चैती एकम् की सवारी निकाली जाएगी, जहाँ दीप प्रवाह और आतिशबाजी होगी।

वन्दे मातरम दिवस मनाने की घोषणा

समिति ने 7 नवंबर को पूरे देश में वंदे मातरम दिवस मनाने का आह्वान किया है। इस दिन 1875 में बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय द्वारा “वंदे मातरम” की रचना की गई थी। समिति का प्रस्ताव है कि 7 नवंबर को पूरे देश में एक हूटर बजे और जो भी व्यक्ति जहाँ हो, वहीं वंदे मातरम का गान करे। इस आयोजन का उद्देश्य राष्ट्रभक्ति और एकता को प्रोत्साहित करना है।

महाअभियान – विक्रमादित्य की प्रतिमा संसद में लगाने की मांग

समिति ने महाराजा विक्रमादित्य की प्रतिमा संसद परिसर में लगाने और विक्रम संवत को राष्ट्रीय संवत घोषित करने की मांग को लेकर हस्ताक्षर अभियान शुरू किया है, जो निरंतर जारी रहेगा। डॉ. प्रदीप कुमावत के नेतृत्व में यह अभियान तब तक चलेगा जब तक यह मांग पूरी नहीं हो जाती।

सर्वधर्म लेगा हिस्सा

यह पंद्रह दिवसीय उत्सव भारतीय संस्कृति, परंपराओं और समाजिक समरसता को बढ़ावा देने के लिए आयोजित किया जा रहा है। इसमें पूरे समाज की भागीदारी सुनिश्चित की गई है, जिससे सनातन संस्कृति का गौरव बढ़ेगा और नववर्ष का स्वागत उत्साहपूर्वक किया जाएगा।

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