हर साल आंवला एकादशी पर लगता है मटकी मेला
महिला रोजगार को मिलता है बढ़ावा
राजेश डांगी
बढ़ती गर्मी में ऐसी, कूलर और फ्रीज की डिमांड तेज होने के साथ ही उदयपुर में एक अनूठे मटकी मेले की शुरआत भी होती है। शहर के गंगू कुंड पर हर साल की तरह इस साल भी आंवला एकादशी पर मटकी मेले का शुक्रवार को शुभारम्भ हुआ। दसवीं शताब्दी से चल रहे इस मेले में पडौसी राज्यों की मटकियों समेत विभिन्न डिजाईन की मटकियां बिकने के लिये आती है। यहां पहुंचने वाले लोगों में भी मेले को लेकर खासा उत्साह देखा जा रहा है।

राजस्थान में प्रसिद्ध है उदयपुर का यह मेला
आपने हरियाली अमावस्या, झलझुलनी एकादशी या गणगौर मेले के बारे में तो सुना होगा लेकिन उदयपुर में लगने वाले एक अनुठे मेले के बारे में शायद आपने नहीं सुना होगा। हर साल आंवला एकादशी पर उदयपुर के गंगू कुंड पर मटकी मेला लगता है जो अपने आप मे अनूठा और लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र रहता है। मान्यता है कि कई वर्षों पूर्व गंगू कुंड उदयपुर के पडौसी कस्बे के रूप में पहचाना जाता था, राजा महाराजाओं के काल में इस मेले का शुभारंभ किया गया था जिसमें दूर दराज से मटकी बेचने वाले यहां पहुंचते है। गंगू कुंड पर आयोजित होने वाले इस मेले में गुजरात की मटकियों के साथ गोगुन्दा और आस – पास के इलाको से आई मांडने वाली मटकियां लोगों को काफी पसंद आती है।

महिला रोजगार को बढ़ावा देता है मटकी मेला
इस मेले ज्यादातर महिलाएं मटकियों का व्यापार करती है इससे महिला रोजगार को भी बढ़ावा मिलता है। गर्मी की शुरुआत से पहले मिट्टी की खुशबू वाली मटकियां और उस पर बनी सुंदर कलाकृतियां लोगों को आकर्षित करती है। गर्मियों में इस मिट्टी की मटकी का पानी राहत प्रदान करने वाला होता है। इस मटकी मेले में 50 से लेकर 150 रुपये तक मटकियां उपलब्ध है।
