“पाकिस्तान से भागे हिंदू शरणार्थियों की दिल छू लेने वाली अपील: ‘हमें वापस पाकिस्तान नहीं भेजा जाए, हिंदुस्तान ही है हमारा घर'”

पाकिस्तान से प्रताड़ित हिंदू शरणार्थियों ने छत्तीसगढ़ सरकार से अपील की है कि उन्हें यहीं स्थायी रूप से बसने की अनुमति दी जाए। 20 अप्रैल को इन शरणार्थियों ने सीमा पार कर भारत में प्रवेश किया और रायपुर में छत्तीसगढ़ के गृह मंत्री विजय शर्मा से मुलाकात की। इस समय ये सभी रायपुर के शदाणी दरबार में शरण लिए हुए हैं। इन शरणार्थियों ने अपनी दुखद कहानी साझा करते हुए बताया कि वे पाकिस्तान में न केवल धार्मिक उत्पीड़न का शिकार हुए, बल्कि उनकी जिंदगी भी खतरे में पड़ी थी। रवि कुमार, जो सिंध प्रांत से आए हैं, ने अपनी पीड़ा साझा करते हुए कहा, “पाकिस्तान में हम पर हमलें हुए, हमारे परिवारों को डाकुओं ने निशाना बनाया, और हमें अपने ही घर में सुरक्षित महसूस नहीं होता था। वहां न तो हमें अपने धर्म को स्वतंत्रता से मानने की छूट थी, न ही व्यापार करने का अधिकार था। हम मजबूर थे।” वह भावुक होते हुए बोले, “अब वापस पाकिस्तान जाने का सवाल ही नहीं उठता। यह हमारा देश नहीं था, यहां हम आज़ाद हैं, और यहीं हम अपना भविष्य सुरक्षित बनाना चाहते हैं।” सहदेव कुमार, जो सिंध के घोटकी जिले से हैं, ने कहा, “हम हिंदू हैं, और हिंदुस्तान हमारा घर है। पाकिस्तान में हम पर जो अत्याचार हुए, वो केवल हमारी धार्मिक पहचान के कारण थे। हम वापस कभी नहीं जा सकते। हमारा दिल यहां बसने को चाहता है, क्योंकि यही हमारा असली घर है।” उन्होंने कहा कि बंटवारे के समय कुछ लोग पाकिस्तान में चले गए थे, लेकिन वे अब पाकिस्तान लौटकर नहीं आ सकते। “यह हमारा देश है, यहां ही हमें जीने का अधिकार है,” उन्होंने अपनी बात जारी रखते हुए कहा। गृह मंत्री विजय शर्मा ने इन शरणार्थियों को आश्वासन दिया कि उनकी स्थिति पर पूरी सहानुभूति दिखाई जाएगी। उन्होंने कहा, “इन शरणार्थियों को भारत में राहत देने के लिए हम पूरी प्रक्रिया का पालन करेंगे और उन्हें स्थायी निवास देने का रास्ता निकालेंगे।” विजय शर्मा ने यह भी कहा कि वे कागजी कार्यवाही को जल्द पूरा करने का प्रयास करेंगे, ताकि इन शरणार्थियों को जल्द से जल्द स्थायी निवास मिल सके। सहदेव कुमार ने अपनी बात खत्म करते हुए भावुक स्वर में कहा, “अगर हमें पाकिस्तान भेज दिया गया तो वह हमारे लिए मौत के समान होगा। हम केवल हिंदुस्तान में ही जी सकते हैं, क्योंकि यह हमारा घर है। हमने अपना भविष्य और हमारे बच्चों का भविष्य यहीं सुरक्षित करने की ठानी है।” उनका यह आक्रोश और दर्द साफ दिखता था कि किस तरह उन्होंने अपने देश में सुरक्षित रहने की उम्मीद छोड़ दी थी और अब वह केवल भारत में ही अपने बच्चों के लिए एक बेहतर भविष्य देख पा रहे हैं। इस समय छत्तीसगढ़ सरकार शरणार्थियों की स्थिति पर सहानुभूति रखते हुए उनके निवास के लिए उचित कदम उठाने पर विचार कर रही है। यह मानवता की एक सशक्त मिसाल है कि कैसे एक कठिन दौर से गुजरने के बाद इन शरणार्थियों को अपना घर, परिवार और भविष्य भारत में मिल सकता है।

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