
पीड़ित ने सांसद मन्नालाल रावत को रैगिंग के दौरान हुई मारपीट से संबंधित वीडियो और फोटो साक्ष्य भी प्रस्तुत किए हैं। इन तस्वीरों में छात्र के शरीर पर कई जगह गहरी चोटें देखी जा सकती हैं। सांसद डॉ. रावत ने इसे शिक्षा संस्थानों की गरिमा के खिलाफ बताते हुए कहा कि इस प्रकार की घटनाएं न केवल कानून का उल्लंघन हैं बल्कि छात्रों की सुरक्षा पर भी सवाल खड़े करती हैं।
डॉ. रावत ने पुलिस को निर्देशित किया है कि आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर कठोर कानूनी कार्यवाही की जाए, ताकि भविष्य में कोई और छात्र ऐसी हिंसा का शिकार न हो। उन्होंने यह भी कहा कि सभी शैक्षणिक संस्थानों को रैगिंग के विरुद्ध कड़े कदम उठाने चाहिए और इस दिशा में जागरूकता बढ़ाने के लिए प्रयास करने चाहिए।

UGC के नियम क्या कहते हैं?
UGC (विश्वविद्यालय अनुदान आयोग) द्वारा रैगिंग पर सख्त रोक है। यदि किसी छात्र को रंग, जाति, भाषा, क्षेत्रीयता या पहनावे के आधार पर मानसिक या शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया जाए तो यह रैगिंग मानी जाती है। संस्थानों को एंटी-रैगिंग कमेटी बनाकर हर शिकायत पर त्वरित कार्रवाई करनी होती है। इस घटना ने एक बार फिर यह स्पष्ट कर दिया है कि रैगिंग पर केवल नियम बनाना काफी नहीं, उन्हें सख्ती से लागू करना भी उतना ही जरूरी है।